किताब के बारे में – ‘हिन्द स्वराज’ स्वतंत्रता – प्राप्ति के लगभग चालीस वर्ष पूर्व ‘स्वदेशी के सिद्धांत’ प्रस्तुत स्वतंत्र भारत की राजनीतिक-आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, शैक्षिक-नैतिक व्यवस्था की पूर्ण परिकल्पना है। यह परिकल्पना तेजी से बदल रहे विश्व- परिदृश्य में भारत के भविष्य पर गंभीर विचार-मंथन के बाद, इस छोटी सी पुस्तक में भारत को एक आदर्श राष्ट्र बनाने के मार्ग में जो-जो कठिनाईयां हैं या हो सकती हैं, उन सबके युक्तिसंगत समाधान सुझाये गए हैं। इसीलिए ‘गागर में सागर’ की कहावत को चरितार्थ करने वाली इस पुस्तक को भारतीय जनमानस और ‘मानवता के प्रति संवेदनशील विचारक की गीता’ कहा गया है। हिन्द स्वराज’ पाठक और सम्पादक के बीच बातचीत की शैली में लिखा गयी है। इस पुस्तिका में बीस अध्याय हैं हिन्द स्वराज का सार आपके ‘मन का राज्य’ स्वराज है, आपकी कुंजी सत्याग्रह, आत्मबल या करूणा बल है। उस बल को आजमाने के लिए स्वदेशी को पूरी तरह अपनाने की जरूरत है। हम जो करना चाहते हैं वह अंग्रेजों को सजा देने के लिए नहीं करें, बल्कि इसलिए करें कि ऐसा करना हमारा कर्तव्य है। मतलब यह कि अगर अंग्रेज नमक-कर रद्द कर दें, लिया हुआ धान वापस कर दें, सब हिन्दुस्तानियों को बड़े-बड़े ओहदे दे दें और अंग्रेजी लश्कर हटा लें, तब भी हम उनकी मिलों का कपड़ा नहीं पहनेंगे, उनकी अंग्रेजी भाषा काम में नहीं लायेंगे और उनकी हुनर-कला का उपयोग नहीं करेंगे। हमें यह समझना चाहिए कि हम वह सब दरअसल इसलिए नहीं करेंगे क्योंकि वह सब नहीं करने योग्य है। |
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